Sunday 31 July 2022

मध्य प्रदेश के मंत्री ने किया कथक पर आधारित अंतर्जाल का शुभारम्भ

वसुंधरा पोस्ट/विज्ञप्ति 

 भोपाल|मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने kathakswati.com का उद्घाटन किया, जो एक वेबसाइट है जो कथक नृत्य की प्रासंगिकता को नए युग के दर्शकों के लिए सीखने के अपने अनुभवात्मक तरीके से वापस लाने के लिए समर्पित है।

 यह वेबसाइट उन सभी लोगों के लिए वन स्टॉप डेस्टिनेशन साबित होगी जो न केवल कथक नृत्य सीखने में रुचि रखते हैं, बल्कि वे भी जो इसके इतिहास, इसके सामाजिक महत्व और वैश्विक स्तर पर इसके पदचिह्न को मजबूत करने की क्षमता के बारे में जानना चाहते हैं।

वेबसाइट का शुभारंभ करते हुए मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कहा, “मैं इस तरह की पहल से बेहद खुश हूं। इस वेबसाइट के माध्यम से www.kathakswati.com उत्साही दुनिया भर में ऑनलाइन आकर्षक निर्देशात्मक वीडियो के माध्यम से कथक नृत्य शैली के बारे में जान सकते हैं और दर्शकों के व्यापक समूह तक पहुंच सकते हैं। यह छात्रों और आम लोगों को इस कथक नृत्य की पेचीदगियों को समझने में काफी मदद करेगा।”

कथक को आमतौर पर भारत के सात शास्त्रीय नृत्यों में से एक माना जाता है और यह उत्तर भारत का एकमात्र नृत्य है।  कथक उत्तरी भारत का एक सुंदर नृत्य है और भारतीय प्राचीन और पौराणिक संस्कृति से संबंधित कहानी कहने की अवधारणा के इर्द-गिर्द घूमता है।  कथक चार अलग-अलग रूपों में पाया जाता है जिन्हें घराना नाम कहा जाता है, उन शहरों के बाद जहां कथक नृत्य परंपरा विकसित हुई, वे हैं जयपुर, बनारस, लखनऊ, और रायगढ़।

नवधा कथकालय की संस्थापक स्वाति पिल्लई ने कहा, "कथक हमेशा से मेरा जुनून रहा है। हम एक प्रसिद्ध कथक अकादमी बनना चाहते हैं जहां एक छत के नीचे कथक नृत्य शैली सीखी जा सके। फॉर्म के बारे में गहराई से सोचना, सख्ती से प्रशिक्षण जारी रखना और आकार देने के लिए अपनी स्वयं की व्याख्याओं का प्रयास करना महत्वपूर्ण है। स्वाति निस्संदेह उन सभी युवा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है, जो कथक सीखने का लक्ष्य रखती हैं।

Tuesday 26 July 2022

चित्रकला प्रतियोगिता व प्रदर्शनी एवं का आयोजन

 लखनऊ,कमलादेवी फाउंडेशन एवं इंस्टिट्यूट ऑफ आर्ट एंड कल्चर के द्वारा कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर आज रामाधीन सिंह इंटर कॉलेज में छात्र-छात्राओं के बीच चित्रकला प्रतियोगिता व प्रदर्शनी एवं भारतीय सैनिकों एवं क्रांतिवीर से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया प्रतियोगिता का उद्घाटन रामाधीन इंटर कॉलेज के उप प्रधानाचार्य राघवेन्द्र सिंह,फाउंडेशन कि अध्यक्ष कमला देवी गुप्ता के द्वारा किया गया  । इस अवसर पर उप प्रधानाचार्य राघवेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रतियोगिताएं बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक होते हैं और इस तरह की प्रतियोगिताएं जो हमारे राष्ट्र और संस्कृति से संबंधित हैं वह हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है ।

फाउंडेशन कि अध्यक्ष कमला देवी गुप्ता ने कहा की आज समय आ गया है की युवा को इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जागृत किया जाए और वह अपने असली नायक को पहचाने । संस्थान के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा की भारत को इस युद्ध में जीत हासिल हुई. हर साल, इस दिन हम पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए युद्ध में शहीद हुए सैकड़ों भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं. भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान को याद करते हैं । संस्थान के उपाध्यक्ष राकेश प्रभाकर ने कहा कि कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु यह दिवस मनाया जाता है  ।

चित्रकला प्रतियोगता  में प्रथम प्रिया,द्वितीय स्मृति कश्यप, पुरस्कार प्राप्त किए हैं तथा सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम शगुन रावत, , द्वितीय किरण गुप्ता, तृतीय सानिया बानो ने पुरस्कार प्राप्त किए संस्थान के सचिव श्रीश सिंह ने बताया की संस्थान का यह उद्देश्य रहता है की इस तरह की सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ राष्ट्र को जोड़ने वाली गतिविधियां देखी जाएं जिससे छात्र छात्राएं अपने इतिहास, गौरव और परंपराओं को याद रखें और आगे बढ़ाएं । कार्यक्रम में कालेज के प्रवक्ता राजीव गुप्ता,कला शिक्षक अनीता वर्मा,संजय राज निर्णायक आर्ट कालेज,आर्टिस्ट संजीव गुप्ता दिलीप कुमार उपस्थित रहे ।


Thursday 21 July 2022

डाकघर में एक ही छत के नीचे तमाम सेवाएं उपलब्ध - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव


वाराणसी ,21 जुलाई (वसुंधरा पोस्ट)|डाक विभाग अब सिर्फ पत्रों व मनीऑर्डर से नहीं जुड़ा है, बल्कि एक ही छत के नीचे तमाम सेवाएं उपलब्ध कराकर डाकघरों को बहुउद्देश्यीय बनाया गया है। बचत, बीमा, आधार, पासपोर्ट, कॉमन सर्विस सेंटर, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, काशी विश्वनाथ प्रसाद और गंगाजल की बिक्री जैसी तमाम सुविधाएं डाकघरों में उपलब्ध हैं। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने वाराणसी (पूर्वी) डाक मंडल द्वारा सारनाथ में आयोजित डाक मेले में संबोधन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। इस दौरान पोस्टमास्टर जनरल ने विभिन्न ग्राम प्रधानों और नागरिकों से संवाद भी किया 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आज भी डाकघर की बचत योजनाएँ सर्वाधिक लोकप्रिय हैं और इनमें  लोग पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित निवेश करते आ रहे हैं। वाराणसी परिक्षेत्र में अब तक 28.70 लाख बचत खाते, 5.21 लाख आईपीपीबी खाते और 2.55 लाख सुकन्या समृद्धि खाते खोले जा चुके हैं।   686 गाँवों को सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम बनाया जा चुका है। बालिकाओं के सुरक्षित भविष्य एवं नारी सशक्तिकरण के बहुमूल्य साधन के रूप में डाक विभाग की अग्रणी भूमिका को रेखांकित करते बताया कि उनके उज्जवल भविष्य के लिए अभी से उन्हें आर्थिक व सामाजिक रूप से सुदृढ़ करने की जरूरत है। इसमें 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के तहत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा आरंभ 'सुकन्या समृद्धि योजना'  महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।  

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक आज एक चलते फिरते बैंक के रूप में कार्य कर रहे हैं। किसानों सहित अन्य तमाम लाभार्थियों के बैंक खातों में आने वाली डीबीटी राशि की निकासी के लिए अब किसी को भी बैंक या एटीएम जाने की जरूरत नहीं, बल्कि घर बैठे ही सभी अपने आधार लिंक्ड बैंक खाते से डाकिया के माध्यम से निकासी कर सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी डाकिया के माध्यम से लिया जा सकता है। सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने हेतु आधार जरूरी है, ऐसे में अब घर बैठे डाकिया के माध्यम से ही आधार से लिंक मोबाइल नम्बर भी अपडेट किया जा सकता है। श्री यादव ने बताया कि आमजन को विभिन्न सेवाओं के लिए भटकना न पड़े और सारी सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो सकें, इसके लिए अब डाकघरों में भी काॅमन सर्विस सेंटर के माध्यम से एक साथ केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों की 73 सेवाएँ मिल रही हैं। 

वाराणसी पूर्वी मंडल के प्रवर अधीक्षक डाकघर श्री राजन ने कहा कि विभिन्न डाक योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु डाक विभाग द्वारा पहल की जा रही है। डाक मेले के दौरान 2,000 से ज्यादा डाकघर बचत बैंक खाते और 500 बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए। मात्र 250 रुपये में खोले जाने वाले सुकन्या समृद्धि खाते में एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम डेढ़ लाख रूपये जमा किये जा सकते हैं। बालिका के 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने अथवा 10वीं कक्षा पास कर लेने के उपरांत जमा राशि का 50 प्रतिशत तक निकाला जा सकता है। खाते की परिपक्वता अवधि खाता खोलने की तारीख से 21 वर्ष है, तथापि बालिका द्वारा 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के बाद विवाह के समय बंद किया जा सकता है। 

इस कार्यक्रम में प्रवर डाकघर अधीक्षक राजन राव, ग्राम प्रधान आशापुर संतोष पाण्डेय, ग्राम प्रधान हिरामनपुर घनश्याम पटेल,  ग्राम प्रधान सिंघपुर श्याम प्रकाश, ग्राम प्रधान बरियासनपुर देवराज पटेल, सहायक डाक अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार चौधरी, दिलीप सिंह यादव, निरीक्षक डाकघर रमेश यादव, सर्वेश सिंह, श्रीकान्त पाल, पोस्टमास्टर सारनाथ उपडाकघर रामरतन पाण्डेय, श्रीप्रकाश गुप्ता, कुलभूषण तिवारी, नितिन पांडेय सहित तमाम स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी -कर्मचारी एवं सम्मानित जनता ने भागीदारी की।



Monday 11 July 2022

जनसंख्या संतुलन ही सामाजिक समस्याओं का समाधान

विश्व जनसंख्या दिवस की पूर्व संध्या पर नागरिक सुरक्षा संगठन  के सहयोग कमला दयाल फाउंडेशन एवं इंस्टिट्यूट ऑफ आर्ट एंड कल्चर संस्था के चित्रकारों  ( संजीव गुप्ता ,राकेश कुमार, पंकज , धीरेंद्र प्रताप, दिलीप कुमार ) द्वारा झूलेलाल पार्क में  जनसंख्या की बढ़ती समस्या पर संतुलन ही समाधान थीम पर एक रंगोली बनाई । इस मौके पर पंकज शुक्ला डिप्टी डिविजनल वार्डन ने कहा कि वर्तमान में बढ़ती खाद्य समस्या जनसंख्या समस्या का ही एक रूप है यदि हमें समय रहते समय संतुलन नहीं किया तो 2050 तक एक गंभीर समस्या के रूप में हमारे सामने होगी इसी संख्या में सेक्टर वार्डन आदर्श वर्मा जी ने कहा कि आज भारत के विकास में शिक्षा रोजगार स्वास्थ संबंधित जो समस्याएं हैं इन सभी समस्याओं का कहीं ना कहीं बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव है और इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए जनसंख्या संतुलन आवश्यक है इसके साथ ही अन्य लोगों ने भी जनसंख्या संतुलन पर अपने विचार व्यक्त किए एवं सभी कार्यकर्ताओं ने अपने आसपास के मोहल्लों में बढ़ती हुई जनसंख्या पर पर्चे बांटकर लोगों को जागरूक करने का संकल्प लिया खेत्री कार्यक्रम में रंगोली के अवलोकन में अनेक लोग आए जिसमें वरिष्ठ वरिष्ठ पत्रकार श्रीश सिंह , समाजसेवी सूर्यभान सतीश कुमार, विष्णु पांडे एवं नागरिक सुरक्षा संगठन के संजय जोशी सेक्टर वार्डन पंकज शुक्ला डिप्टी डिविजनल वार्डन सुधीर श्रीवास्तव पोस्ट वार्डन तेज कुमारी सेक्टर वार्डन आदर्श वर्मा सेक्टर वार्डन आदि सभी लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर कार्यक्रम को सफल बनाया ।

वाइनरी उद्योग से ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा : डॉ अश्विनी पाण्डेय

वसुंधरा पोस्ट ब्यूरो 

लखनऊ , मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव आबकारी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी तथा श्री सेंथिल पांडियन सी. आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करते हुए वाइन संगोष्ठी का शुभारम्भ होटल हयात में किया गया। सर्वप्रथम संगोष्ठी में आबकारी आयुक्त श्री सेंथिल पांडियन सी. ने वाइनरीज उद्योग की स्था्पना के लिये कान्फ्रेंस में आये हुए सभी निवेशकों तथा फल उत्पादक किसानों को वाइनरीज रूल्स के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। उनके द्वारा बताया गया कि उत्तर प्रदेश में वाइनरी रूल्स सर्वप्रथम 1961 में पब्लिश किया गया था फिर उसके बाद 1974 में इसमें पहली बार संशोधन किया गया। पुनः इसमें 2022 में वाइनरीज उद्योग को ईज आफ डूइंग बिजनेस के अन्तर्गत नियमों और प्रतिबन्धों को और अधिक आसान बनाते हुए संशोधित किया गया।

आबकारी आयुक्त द्वारा बताया गया कि देश में उत्पादित फलों का 26 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में उत्पादन किया जाता है, जो रैकिंग के हिसाब से देश में तीसरे स्थान पर है। उनके द्वारा प्रदेश में उत्पादित हो रहे फलों को उत्पादन के हिसाब से जोन के आधार पर फलों के उत्पादन के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। सब ट्रापिकल जोन, प्लेेन रीजन तथा बुन्देलखण्ड जोन में उगाये जाने वाले फलों के सम्बन्ध आने वाले जनपदों सहारनपुर, बिजनौर, बरेली, पीलीभीत आदि जनपदों में लींची, ग्राफ्टेड मैंगो, पाइनेपल, केला आदि फल पैदा किये जाते हैं। इसी प्रकार सब ट्रापिकल के अन्तर्गत बेल, आंवला, अमरूद, पपीता जैसे फलों का उत्तर प्रदेश में बहुतायात में उत्पादन होता है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मुख्य रूप सेे बेल, लेमन, अमरूद तथा पपीता के उत्पादन किया जाता है। उनके द्वारा बताया गया कि उत्तर प्रदेश देश में फलों के उत्पादन में सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। उनके द्वारा वाइनरी के संबंध में बताते हुए निवेशकों तथा फल उत्पादकों से वाइनरी रूल के और अधिक आसान बनाने के लिए सुझाव भी आमंत्रित किए गए तथा तदनुसार आवश्यक संशोधन के लिए आóासन भी दिया गया।

 मेसर्स फ्रूट वाइन्स के श्री राजेश रसाल ने अपने प्रसन्टे्शन में बताया कि फल और बेरी वाइन विभिन्न प्रकार के फलों (अंगूर के अलावा) और विभिन्न प्रकार के स्वादों से बने किण्वित पेय हैं। इसमें सेब, स्ट्रॉबेरी, प्लम, आड़ू, चीकू, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय फलों जैसे संतरे, आम, केला, अनार और अनानास जैसे फलों से उत्पादित वाइन शामिल हो सकते हैं, निष्कर्षण पर अच्छी मात्रा में रस मिलता है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि बेरी और फलों की वाइन के उत्पादन के लिए, जामुन और फलों जैसे सेब, नाशपाती, अनार, बेर, आड़ू, क्रैनबेरी, रास्पबेरी आदि से दबाया हुआ रस बनाया जाता है। सामान्य तौर पर, बेरी और फलों की शराब बनाने की प्रक्रिया समान होती है अंगूर से शराब यानी बेरी या फ्रूट मैश को पहले दबाया जाता है, और फिर दबाया हुआ रस किण्वित किया जाता है। चूंकि इनमें से अधिकांश जामुन और फल या तो चीनी में कम या कुल अम्लता में उच्च होते हैं या दोनों, चीनी और पानी के साथ सुधार का अभ्यास किण्वन से पहले, दौरान और बाद में किया जाता है। वाइन को तेजी से किण्वित किया जाता है और उनके विशिष्ट स्वाद और सुगंध को संरक्षित करने के लिए शायद ही कभी लंबे समय तक वृद्ध होते हैं। पुरानी वाइन को कभी-कभी स्वाद वापस लाने के लिए ताजी बनी वाइन के साथ मिश्रित किया जाता है।

उनके द्वारा निवेशकों को वाइनरीज रूल्सव के अन्तरर्गत नियमों में दिये गये सुविधाओं से भी अवगत कराया गया। इसके अतिरिक्ती उन्हों ने कान्फ्रे न्सय में आये हुए प्रतिनिधियों से इस सम्बन्ध, में सुझाव भी मांगे तथा तद्नुसार वाइनरीज रूल्स  में आवश्यकतानुसार संशोधन किये जाने का भी आश्वासन दिया गया।

श्री अनिल साहनी, डायरेक्टर ने किसानों के फल आधारित वाइन इण्डस्ट्रीज के सम्बन्ध  में किसानों के योगदान पर अपने विचार प्रस्तु्त किये। उनके द्वारा यह बताया गया कि किसानों के द्वारा उत्पादन किये जाने वाले फलों का 30 प्रतिशत फल सदुपयोग हो जाने से बच जाता है। इन फलों को उपयोग में लाने हेतु वाइनरी उद्योग को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों द्वारा फल आधारित अन्य इण्डस्ट्रीज में बनाये जाने वाले उत्पादों में एक्सपायरी डेट होता है उसमें किसानों को समुचित मूल्य नहीं मिल पाता। किसानों को उनके लागत का अच्छा मूल्य  दिलाने तथा उनकी आय को बढ़ाने में वाइनरी उद्योग काफी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रायः यह देखा जा रहा है कि किसानों को फलों का अच्छा मूल्य न मिल पाने के कारण फलों के बाग भी कटते जा रहे हैं, जिनको बचाने और अधिक बागों के विकास के लिये वाइनरीज उद्योग उपयोगी सिद्ध होगा। वाइनरीज उद्योग पूरी तरह से इको फ्रेण्डिली होता है जिसमें किसी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता और न ही किसी प्रकार का हानिकारक अवशिष्ट पदार्थ ही निकलता है। अल्प मात्रा में निकले अवशिष्ट को उर्वरक के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। इसके साथ ही  छोटे-छोटे वाइनरीज उद्योग को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में सुझाव देते हुए बुटिक वाइनरी के रूप में छोटे-छोटे उद्योग स्थापित किये जाने पर बल देते हुए बताया कि बुटिक वाइनरी से ग्रामीण टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग के अधिकारियों के प्रति वाइनरीज उद्योग में पहल करने के लिये और इस संगोष्ठी  को आयोजित किये जाने के लिये आभार व्यक्त  किया।

विशेष सचिव, दूरिज्म डा. अश्विनी पांडेय द्वारा अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री द्वारा चलाये जा रहे ट्रेड, टेक्नोलाजी एण्ड टूरिज्म के ड्रीम प्रोजेक्ट से अवगत कराया गया। उनके द्वारा यह बताया गया कि वाइनरी उद्योग के आने से जहॉं एक ओर ग्रामीण टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी ओर फल उत्पादित किसान अधिक संख्या में लाभान्वित होंगे। उनके द्वारा वाइनरी से जुड़े हुए अनेक योजनाओं के बारे में भी डेलिगेट्स को अवगत कराया गया।

इसी प्रकार खाद्य प्रसंस्करण विभाग से श्री आर.के.सिंह ने कहा कि वाइनरी कम्पनियों द्वारा आबकारी विभाग के पहल पर किसानों द्वारा उत्पादित फलों के उपभोग से अवशेष फलों को प्रसंस्कृत करते हुए वाइन उद्योग को बढ़ावा देने को एक सराहनीय कदम बताया। उनके द्वारा बताया गया कि प्रदेश में कुल छोटे बड़े फल आधारित उद्योगों के 24314 इकाईयॉं स्थापित की गयी है, जिससे प्रदेश को 335 करोड़ रूपये का निवेश प्राप्त हो रहा है। उनके द्वारा बताया गया कि वाइनरी उद्योग में किसानों को फलों के शत-प्रतिशत उपभोग से उनकी आय में काफी वृद्धि करने में मदद मिलेगी। उनके द्वारा छोटे उद्योगों के रूप में पल्प इण्स्ट्रीज लगाये जाने पर जोर देते हुए यह भी बताया गया कि इण्डस्ट्रीज बहुत कम लागत में और कम जगह में लगाया जा सकेगा। छोटे किसान भी इस उद्योग को लगाने में आगे आयेंगे। उत्तर प्रदेश में गोला आम की देशी वेरायटी में अत्यधिक मात्रा में पल्प पाये जाने से अवगत कराया गया और यह भी बताया गया कि इस प्रकार के छोटे छोटे पल्प उद्योगों से वाइनरी उद्योग के विकास में बढ़ावा मिलेगा।

श्री राहुल सिंह, द्वारा वाइनरी उद्योग के सम्बन्ध  में अपने विचार करते हुए एक जनपद एक उत्पाद योजना से जोड़ते हुए यह बताया गया कि बहुत से जिलों में विशेष प्रकार के फल बहुतायात में पैदा किये जाते हैं। इन जनपदों में उपभोग एवं अन्य उद्योगों से बचे हुए फलों को उपयोग में लाकर वाइनरी उद्योग स्थापना एवं तदनुसार किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी।

मुख्य अतिथि के रूप में अपर मुख्य सचिव, आबकारी श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा अपने संबोधन में किसानों और उद्योगों का एक दूसरे के साथ गहरा संबंध  बताते हुए किसानों को सबसे बड़ा निवेशक बताया। उनके द्वारा बताया गया कि किसानों को दैवी आपदा का पता न होने के बाद भी किसान काफी उत्साह के साथ खेती-किसानी का कार्य करता है। उनके द्वारा बताया गया कि वर्तमान में सरकार द्वारा किसानों को उनकी आय को दुगुना करने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की योजनायें एवं कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। छोटे-छोटे उद्योगों को स्थापित करने में सरकार की योजनायें सम्बन्धित विभागों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। उनके द्वारा वाइनरी उद्योग को स्थापित किये जाने में इन्वसटर्स एवं किसानों को एक दूसरे का पूरक बताते हुए दोनों की आपसी आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य करने पर बल दिया गया। किसानों को अधिक से अधिक फल उत्पादन के लिये हार्टिकल्चर डिपार्टमेन्ट से आवश्यक निर्देश तथा योजनाओं का लाभ लेते हुए बागों के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया। वाइनरी उद्योग की स्थापना में कम जगह एवं कम लागत बताते हुए अच्छे आय के साधन के रूप में बताया गया। बाग प्रबंधन से वाइनरी उद्योग के लिये किसानों द्वारा छोटे छोटे बुटिक वाइनरी स्थापित किया जा सकता हैं और छोटे बड़े किसान भी गांव को ग्रामीण दूरिज्म के रूप में विकसित कर सकते हैं, जिससे उनके आय पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। उनके द्वारा बताया गया कि विभिन्न क्षेत्रों में जहॉं विशेष प्रकार के फल बहुतायत में पैदा किये जाते हैं वहॉं भी इस प्रकार के कान्फ्रेन्स आयोजित करते हुए निवेशक को आकर्षित करने तथा किसानो के आय में अभिवर्धन और वाइनरी उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कान्फ्रेन्स आयोजित किये जाते रहेंगे तथा प्रदेश को मजबूत अर्थव्यवस्था देने का काम किसानों व निवेशकों द्वारा किया जा सकेगा।

 आयोजित कांफ्रेंस में विभिन्न प्रदेशों से आए वाइन उत्पादक इकाईयों आल इण्डिया वाइन प्रोड्यूशर एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित मेसर्स जाइटेक्सं के श्री श्रीकांत मागर,  मेसर्स अल्फाटेक के श्री जगदीश पाटिल, मेसर्स रिदिम वाइनरीज के श्री अकल्पित प्रभाकर, मेसर्स रिसर्व के श्री नीरज अग्रवाल, मेसर्स इन्विशन इक्यूमपमेन्ट के श्री संजय झॉं, मेसर्स फ्रूट वाइन्स के श्री राजेश रसाल, मेसर्स इण्डियन वाइन इण्डस्ट्रीज के श्री अश्विन राड्रिक्सक आदि ने कांफ्रेन्स में वाइनरी उद्योग को बढ़ावा देने के संबंध में  विचार व्यक्त किये।

 कान्फ्रेन्स में वाइनरी उद्योग के सम्बन्ध में प्रतिभाग करने वाले प्लान्ट एवं मशीनरी उपलब्धं कराने वाले डेलीगेड्स द्वारा भी वाइनरी उद्योग की स्थापना के लिये मशीनों तथा टेक्नॉलाजी, उद्योग स्थापना में लगने वाली लागत और पूंजी निवेश के सम्बन्ध में समस्त उपस्थित डेलीग्रेडस को अवगत कराया गया। कान्फ्रेन्स में उपस्थित डेलीग्रेटस द्वारा विभिन्न प्रकार के क्वैयरी तथा अपेक्षाओं के सम्बन्ध में चर्चा हुई।

 आयोजित कांफ्रेंस में विभाग की ओर से मुख्य अतिथि के रूप में अपर मुख्य सचिव, आबकारी श्री संजय आर. भूसरेड्डी तथा आयुक्त, आबकारी श्री सेंथिल पांडियन सी. के अतिरिक्त विशेष सचिव, आबकारी श्रीमती निधि गुप्ता वत्स, अपर आबकारी आयुक्त श्री हरिश्चंद्र तथा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

Tuesday 5 July 2022

भारतीय स्थापत्य प्रतिभा को वैश्विक मंच पर मिली पहचान

  वसुंधरा पोस्ट  ब्यूरो

लंदन यूरोप का सबसे बड़ा वास्तुकला उत्सव (लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर) मनाता है, जिसमें भारत को पहली बार आमंत्रित किया गया था। जिसमें भारतीय स्थापत्य हुनर को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है जो भारत के लिए एक गर्व का विषय है। लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर यूरोप का सबसे बड़ा आर्किटेक्चर फेस्टिवल है जहां दुनियाभर के आर्किटेक्ट क्षेत्र के ख्याति प्राप्त वास्तुकार अपने विचार साझा करने और दुनिया में वास्तुकला क्षेत्र में किए जा रहे प्रयत्नों और उपलब्धियों को साझा करने लिए एकत्रित होते हैं। इस वर्ष यह उत्सव 1 जून से 30 जून तक पूरे लंदन में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता है।

स्थापत्य क्षेत्र में कौशलता दिखाने के लिए लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर के प्रतिष्ठित मंच पर भारत को पहली बार बुलाया किया गया था। इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व विश्व विख्यात अरबन प्लानर और CP Kukreja Architects के मैनेजिंग डायरेक्टर, दीक्क्षू सी कुकरेजा ने किया। इस कार्यक्रम में श्री दीक्क्षू सी कुकरेजा ने "निर्मित पर्यावरण के 50 वर्ष" विषय पर एक प्रदर्शनी आयोजित की, जिसमें उन्होंने पिछले पांच दशकों से भारतीय वास्तुकला और डिजाइन की गई उत्कृष्ट संरचनाओं के विकास के बारे में बताया।

यह प्रदर्शनी 24 जून 2022 को ललित होटल लंदन में आयोजित की गई। प्रदर्शनी में प्रख्यात लेखक और नेहरू सेंटर, लंदन के निदेशक श्री अमीश त्रिपाठी और लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर की निदेशक सुश्री रोजा रोगिना सहित अन्य उल्लेखनीय गणमान्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में भारत को पहली बार अपनी स्थापत्य संरचनाओं को प्रदर्शित करने के लिए आमंत्रित किए जाने पर श्री कुकरेजा ने बताया कि यह देखकर मुझे बेहद खुशी हो रही है कि समकालीन भारतीय वास्तुकला को विश्व स्तर पर भलीभांति स्वीकार्य किया जा रहा है। यह बेहद सुकून देने वाली बात है। यह मामला केवल इमारतें बनाने तक सीमित नहीं हैं बल्कि, हमारी इमारतें समाज को कैसे प्रभावित कर रही हैं यह मामला इस बात से भी जुड़ा हुआ है।"

प्राचीन वास्तुकला से लेकर मुगल वास्तुकला तक भारतीय स्थापत्य कला को हमेशा इसकी श्रेष्ठता के लिए सराहा गया है और हमेशा उच्च कोटि में रखा गया है। फिर भारत स्वतंत्रता संग्राम के बाद हमारा देश इस मामले में पिछड़ गया। औपनिवेशिक शासनकाल के दौरान बनाए गए वास्तुकला को ज्यादातर ब्रिटिश वास्तुकारों द्वारा डिजाइन किया गया था जिसमें भारतीय वास्तुकारों के योगदान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। साथ ही, उस दौर की स्थापत्य संरचनाओं को भारतीय परिवेश के अनुसार "प्रासंगिक" नहीं बनाया गया था।

अर्थव्यवस्था को संयोजने की जिम्मेदारी की और संसाधनों की कमी की वजह से भारत स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वास्तुशिल्पकला पर उतना जोर नहीं दे पाया लेकिन 1970 के दशक से स्थापत्य सरंचनाओं को तत्कालीन नए युग के वास्तुकारों की वजह से एक नई दिशा मिली, लेकिन फिर भी भारतीय स्थापत्य वैश्विक मान्यता से वंचित ही रहा।

यूरोप के सबसे बड़े वास्तुकला उत्सव में पहले भारतीय प्रतिनिधि होने पर श्री कुकरेजा ने बताया कि, "लंदन के इस वास्तुकला उत्सव में सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स के कार्यों के माध्यम से भारतीय वास्तुकला को प्रदर्शित करने का यह मौका न केवल भारत को वैश्वविक परिदृश्य पर एक नई पहचान दिलाएगा है बल्कि वास्तुकला और बुनियादी ढांचे के विकास के पैमाने पर भी हमारे देश में विदेशी निवेश के अवसर बढ़ाने के लिए दुनिया के नए लोगों का ध्यान आर्किषण करेगा। यह प्रदर्शनी भारत में शहरी विकास के पैमाने और अवसरों को बढ़ाना देने के लिए एक बड़ी उपलब्धि को दर्शाती है जो दुनिया के लिए भारत में बेहतर निवेश के ठिकाने के रूप में एक उम्मीद पैदा करेगी।

प्रदर्शनी में श्री कुकरेजा ने 1970 और 80 के दशक की ऐतिहासिक इमारतों के बारे में भी बताया, जिन्होंने भारत को स्थापत्य के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने में खासा योगदान दिया है। इसके अलावा, उन्होंने अन्वेषी और अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से 1990 और 2000 के वास्तुशिल्प संरचनाओं पर प्रकाश डाला, जिसने प्रयोगात्मक उत्साह को उजागर किया और पुरानी प्रथा को तोड़ दिया- जिससे आर्थिक उदारीकरण के नए युग में सामग्री और प्रौद्योगिकी के मामले में अंतहीन संभावनाओं की शुरुआत की।

21वीं सदी में हुए परिवर्तन पर बात करते हुए, श्री कुकरेजा ने स्थानीय संदर्भ के साथ अत्याधुनिक पद्धति और स्थिरता के मामले में भारतीय वास्तुकला के क्षेत्र में समकालीन नई पद्धतियों के बारे में भी बताया। श्री अमीश त्रिपाठी ने इस मौके पर बताया कि, "जब मैंने इन परियोजनाओं को देखा, तो पाया कि किस तरह से इन्होनें अपनी परियोजनाओं को डिजाइन करने के लिए स्थानीय सामग्रियों और स्थानीय परंपराओं का उपयोग किया है, इससे हम सभी को सीखना चाहिए।"

सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स की वह परियोजनाएं जिन्हें प्रदर्शनी में दिखाया गया:

इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली

अम्बादीप टावर्स, नई दिल्ली.

पाथवेज वर्ल्ड स्कूल, गुरुग्राम

करमापा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, नई दिल्ली.

गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

पूर्वी दिल्ली हब, नई दिल्ली

वल्लभ भवन एक्सटेंशन, भोपाल, मध्य प्रदेश

द ललित होटल, कैनाकोना, भारत

सेंट्रल विस्टा, नई दिल्ली के पुनर्विकास के लिए प्रस्ताव

दीक्षु सी. कुकरेजा का संक्षिप्त परिचय: दीक्षु सी. कुकरेजा ने स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर से बी.आर्क ऑनर्स में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। वे फ्रैंक लॉयड राइट स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, यूएसए में प्रतिष्ठित टेल्स इन फेलोशिप में भाग ले चुके हैं और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और अर्बन डिज़ाइन में मास्टर्स कीडिग्री हासिल कर चुके हैं। दीक्षु सी. कुकरेजा को हाल ही में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ आर्किटेक्ट्स (यूआईए) द्वारा दुनिया के शीर्ष 100 आर्किटेक्ट्स में शामिल¬¬¬¬ किया गया है। दुबई एक्सपो-2020 में उनकी प्रतिष्ठित परियोजनाओं में एक इंडिया पवेलियनपरियोजना को अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (एआईए) द्वारा सर्वश्रेष्ठ पवेलियन में से एक की मान्यता प्रदान की गई थी।

सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स के बारे में: सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स (CPKA) 1969 में स्वर्गीय सीपी कुकरेजा द्वारा स्थापित एक बहु-विषयक वास्तुकला पद्धति है, जो 1970 और 80 के दशक में चार्ल्स कोरिया और राज रेवाल जैसे समकालीनों के साथ भारत के आधुनिक वास्तुकला क्षेत्र में हो रही गतिविधियों में सबसे आगे थी। इस प्रथा ने स्वतंत्र भारत के निर्मित वातावरण के लिए एक विशिष्ट पहचान स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पिछले पचास वर्षों में 1000 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।

पर्यटन मंत्री ने अमृत रथ यात्रा की तीन बसों को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

आजादी के अमृतकाल के समाप्ति पर भारत को नया भारत बनाने का संकल्प लें-जयवीर सिंह लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर स...