Wednesday, 29 June 2022

मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल 10 से 12 नवंबर तक मेरठ में


 पूनम पंडित / मेरठ

 मेरठ/क्रांतिधरा साहित्यअकादमी द्वारा आज रोहटा रोड, मेरठ स्थित कार्यालय पर एक आयोजन समिति की बैठक हुई जिसमें मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के आयोजन संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई और निर्णय लिया गया कि दिनांक 10, 11, 12 नंवबर 2022 को यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा ।

तीन दिवसीय क्रांतिधरा मेरठ साहित्यिक महोत्सव (मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल) में  जिसमें समस्त भारत, नेपाल, भूटान, बंगलादेश, मारिशस, कनाडा, बेल्जियम, इंग्लैंड, अमरीका, रूस, इथोपिया, ओमान, कतर, तिब्बत , नार्वे आदि देशों से साहित्यिक विभूतियां शामिल रहेंगी । तीन दिवसीय आयोजन में पुस्तक प्रदर्शनी , साहित्यिक परिचर्चाएं, सामाजिक परिचर्चाएं, शोध पत्र , पुस्तक विमोचन, पुस्तक समीक्षा , साक्षात्कार, लघु कथा वाचन , रंगमंच, सांस्कृतिक कार्यक्रम, अनुवाद , कवि सम्मलेन, मुशायरा, ओपन माइक, सम्मान समारोह सत्र आयोजित किए जाएंगे । 

मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल की आज की बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ गज़लकार डा कृष्ण कुमार 'बेदिल' द्वारा की गई और संचालन डा रामगोपाल भारतीय, विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी व संवाद ग्रुप के निदेशक प्रशांत कौशिक रहे । संजय कुमार शर्मा, ब्रजराज किशोर 'राहगीर', हरीश शर्मा,  नितीश कुमार राजपूत, सुषमा 'सवेरा' , मुक्ता शर्मा, जूही शर्मा शामिल रहे और अपने विचार रखें ।

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी की अध्यक्ष पूनम पंडित ने सभी का स्वागत किया और बताया कि उनकी संस्था का उद्देश्य वसुद्धैव कुटुम्बकम् की विचारधारा के साथ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साहित्यिक सेतु का निर्माण करते हुए नवोदित व गुमनाम साहित्यिक प्रतिभाओं को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करना है ।

 बैठक के साथ ही 'मैंगो पार्टी' (आम की दावत) का भी सभी ने आनंद लिया और एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया । जिसमें डा कृष्ण कुमार बेदिल, डा रामगोपाल भारतीय, संजय कुमार शर्मा जी, ब्रजराज किशोर राहगीर जी, प्रशांत कौशिक जी, डा विजय पंडित, सुषमा सवेरा जी, मुक्ता शर्मा जी, पूनम पंडित जी, नितीश कुमार राजपूत जी ने कविता पाठ किया ।

बदल रही है चमन की फिज़ा पता है क्या।

नसीमे-सुब्ह का नश्तर कोई चुभा है क्या।

फिर इंक़लाब की आहट सुनाई देती है

क़फ़स को ले के परिन्दा कोई उड़ा है क्या ...

डा कृष्ण कुमार 'बेदिल' 

रोज फोन पर सारे घर की,

खोज खबर लेती हो।

अपनी भी तो कभी बताओ,

बिटिया,तुम कैसी हो।

डॉ रामगोपाल भारतीय ।

नवगीत:

हम तो चले ढूंढने खुशियाँ गम ही हाथ लगे

चहकीं सांसे सपन नयन में

फिरते डगर-डगर

लेकिन खबर न थी इतनी_सी

दुख है नगर-नगर

झील किनारे बैठे- बैठे सारी उमर जगे ..

संजय कुमार शर्मा

बिना सोचे हुए कुछ बोलना अच्छा नहीं होता।

मुहब्बत को तुला पर तोलना अच्छा नहीं होता।

कि रिश्तों में भरोसे का बना रहना ज़रूरी है,

वफ़ा की बंद मुट्ठी खोलना अच्छा नहीं होता ...

बृज राज किशोर ‘राहगीर’

वो मिलेंगे कभी तो बताएँगे हम

कैसे जीते हैं हम,कैसे पीते है ग़म

याद उनकी मुझे यूँ सताती रही,

अश्क़ बहते नहीं आँखे रहती हैं नम ..

सुषमा 'सवेरा' 

जिस पर भी मैं का रंग ‌चढ़ा है उतर गया।

दुनिया में जो पैदा हुआ इक रोज़ मर गया।

तारीख़    बताती  है ये मैं नहीं कहती।

दुनिया से ख़ाली हाथ सिकंदर गुज़र गया ... 

मुक्ता शर्मा

ये शोहरत कुछ दिनों की है किसे फिर याद आएगी

मेरा दावा है दुनिया बात सारी भूल जाएगी

ज़माना भूल जाएगा ज़माने भर की बातों को

मगर दुनिया मोहब्बत की हज़ारों साल गायेगी .. 

नीतीश राजपूत

बैठक के समापन पर कार्यक्रम अध्यक्ष डा कृष्ण कुमार बेदिल ने सभी की उपस्थिति, विचारों व कविता पाठ करने के लिए आभार जताया और आगामी आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी ।

 


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