Monday, 11 July 2022

वाइनरी उद्योग से ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा : डॉ अश्विनी पाण्डेय

वसुंधरा पोस्ट ब्यूरो 

लखनऊ , मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव आबकारी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी तथा श्री सेंथिल पांडियन सी. आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करते हुए वाइन संगोष्ठी का शुभारम्भ होटल हयात में किया गया। सर्वप्रथम संगोष्ठी में आबकारी आयुक्त श्री सेंथिल पांडियन सी. ने वाइनरीज उद्योग की स्था्पना के लिये कान्फ्रेंस में आये हुए सभी निवेशकों तथा फल उत्पादक किसानों को वाइनरीज रूल्स के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। उनके द्वारा बताया गया कि उत्तर प्रदेश में वाइनरी रूल्स सर्वप्रथम 1961 में पब्लिश किया गया था फिर उसके बाद 1974 में इसमें पहली बार संशोधन किया गया। पुनः इसमें 2022 में वाइनरीज उद्योग को ईज आफ डूइंग बिजनेस के अन्तर्गत नियमों और प्रतिबन्धों को और अधिक आसान बनाते हुए संशोधित किया गया।

आबकारी आयुक्त द्वारा बताया गया कि देश में उत्पादित फलों का 26 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में उत्पादन किया जाता है, जो रैकिंग के हिसाब से देश में तीसरे स्थान पर है। उनके द्वारा प्रदेश में उत्पादित हो रहे फलों को उत्पादन के हिसाब से जोन के आधार पर फलों के उत्पादन के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। सब ट्रापिकल जोन, प्लेेन रीजन तथा बुन्देलखण्ड जोन में उगाये जाने वाले फलों के सम्बन्ध आने वाले जनपदों सहारनपुर, बिजनौर, बरेली, पीलीभीत आदि जनपदों में लींची, ग्राफ्टेड मैंगो, पाइनेपल, केला आदि फल पैदा किये जाते हैं। इसी प्रकार सब ट्रापिकल के अन्तर्गत बेल, आंवला, अमरूद, पपीता जैसे फलों का उत्तर प्रदेश में बहुतायात में उत्पादन होता है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मुख्य रूप सेे बेल, लेमन, अमरूद तथा पपीता के उत्पादन किया जाता है। उनके द्वारा बताया गया कि उत्तर प्रदेश देश में फलों के उत्पादन में सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। उनके द्वारा वाइनरी के संबंध में बताते हुए निवेशकों तथा फल उत्पादकों से वाइनरी रूल के और अधिक आसान बनाने के लिए सुझाव भी आमंत्रित किए गए तथा तदनुसार आवश्यक संशोधन के लिए आóासन भी दिया गया।

 मेसर्स फ्रूट वाइन्स के श्री राजेश रसाल ने अपने प्रसन्टे्शन में बताया कि फल और बेरी वाइन विभिन्न प्रकार के फलों (अंगूर के अलावा) और विभिन्न प्रकार के स्वादों से बने किण्वित पेय हैं। इसमें सेब, स्ट्रॉबेरी, प्लम, आड़ू, चीकू, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय फलों जैसे संतरे, आम, केला, अनार और अनानास जैसे फलों से उत्पादित वाइन शामिल हो सकते हैं, निष्कर्षण पर अच्छी मात्रा में रस मिलता है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि बेरी और फलों की वाइन के उत्पादन के लिए, जामुन और फलों जैसे सेब, नाशपाती, अनार, बेर, आड़ू, क्रैनबेरी, रास्पबेरी आदि से दबाया हुआ रस बनाया जाता है। सामान्य तौर पर, बेरी और फलों की शराब बनाने की प्रक्रिया समान होती है अंगूर से शराब यानी बेरी या फ्रूट मैश को पहले दबाया जाता है, और फिर दबाया हुआ रस किण्वित किया जाता है। चूंकि इनमें से अधिकांश जामुन और फल या तो चीनी में कम या कुल अम्लता में उच्च होते हैं या दोनों, चीनी और पानी के साथ सुधार का अभ्यास किण्वन से पहले, दौरान और बाद में किया जाता है। वाइन को तेजी से किण्वित किया जाता है और उनके विशिष्ट स्वाद और सुगंध को संरक्षित करने के लिए शायद ही कभी लंबे समय तक वृद्ध होते हैं। पुरानी वाइन को कभी-कभी स्वाद वापस लाने के लिए ताजी बनी वाइन के साथ मिश्रित किया जाता है।

उनके द्वारा निवेशकों को वाइनरीज रूल्सव के अन्तरर्गत नियमों में दिये गये सुविधाओं से भी अवगत कराया गया। इसके अतिरिक्ती उन्हों ने कान्फ्रे न्सय में आये हुए प्रतिनिधियों से इस सम्बन्ध, में सुझाव भी मांगे तथा तद्नुसार वाइनरीज रूल्स  में आवश्यकतानुसार संशोधन किये जाने का भी आश्वासन दिया गया।

श्री अनिल साहनी, डायरेक्टर ने किसानों के फल आधारित वाइन इण्डस्ट्रीज के सम्बन्ध  में किसानों के योगदान पर अपने विचार प्रस्तु्त किये। उनके द्वारा यह बताया गया कि किसानों के द्वारा उत्पादन किये जाने वाले फलों का 30 प्रतिशत फल सदुपयोग हो जाने से बच जाता है। इन फलों को उपयोग में लाने हेतु वाइनरी उद्योग को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों द्वारा फल आधारित अन्य इण्डस्ट्रीज में बनाये जाने वाले उत्पादों में एक्सपायरी डेट होता है उसमें किसानों को समुचित मूल्य नहीं मिल पाता। किसानों को उनके लागत का अच्छा मूल्य  दिलाने तथा उनकी आय को बढ़ाने में वाइनरी उद्योग काफी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रायः यह देखा जा रहा है कि किसानों को फलों का अच्छा मूल्य न मिल पाने के कारण फलों के बाग भी कटते जा रहे हैं, जिनको बचाने और अधिक बागों के विकास के लिये वाइनरीज उद्योग उपयोगी सिद्ध होगा। वाइनरीज उद्योग पूरी तरह से इको फ्रेण्डिली होता है जिसमें किसी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता और न ही किसी प्रकार का हानिकारक अवशिष्ट पदार्थ ही निकलता है। अल्प मात्रा में निकले अवशिष्ट को उर्वरक के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। इसके साथ ही  छोटे-छोटे वाइनरीज उद्योग को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में सुझाव देते हुए बुटिक वाइनरी के रूप में छोटे-छोटे उद्योग स्थापित किये जाने पर बल देते हुए बताया कि बुटिक वाइनरी से ग्रामीण टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग के अधिकारियों के प्रति वाइनरीज उद्योग में पहल करने के लिये और इस संगोष्ठी  को आयोजित किये जाने के लिये आभार व्यक्त  किया।

विशेष सचिव, दूरिज्म डा. अश्विनी पांडेय द्वारा अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री द्वारा चलाये जा रहे ट्रेड, टेक्नोलाजी एण्ड टूरिज्म के ड्रीम प्रोजेक्ट से अवगत कराया गया। उनके द्वारा यह बताया गया कि वाइनरी उद्योग के आने से जहॉं एक ओर ग्रामीण टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा वहीं दूसरी ओर फल उत्पादित किसान अधिक संख्या में लाभान्वित होंगे। उनके द्वारा वाइनरी से जुड़े हुए अनेक योजनाओं के बारे में भी डेलिगेट्स को अवगत कराया गया।

इसी प्रकार खाद्य प्रसंस्करण विभाग से श्री आर.के.सिंह ने कहा कि वाइनरी कम्पनियों द्वारा आबकारी विभाग के पहल पर किसानों द्वारा उत्पादित फलों के उपभोग से अवशेष फलों को प्रसंस्कृत करते हुए वाइन उद्योग को बढ़ावा देने को एक सराहनीय कदम बताया। उनके द्वारा बताया गया कि प्रदेश में कुल छोटे बड़े फल आधारित उद्योगों के 24314 इकाईयॉं स्थापित की गयी है, जिससे प्रदेश को 335 करोड़ रूपये का निवेश प्राप्त हो रहा है। उनके द्वारा बताया गया कि वाइनरी उद्योग में किसानों को फलों के शत-प्रतिशत उपभोग से उनकी आय में काफी वृद्धि करने में मदद मिलेगी। उनके द्वारा छोटे उद्योगों के रूप में पल्प इण्स्ट्रीज लगाये जाने पर जोर देते हुए यह भी बताया गया कि इण्डस्ट्रीज बहुत कम लागत में और कम जगह में लगाया जा सकेगा। छोटे किसान भी इस उद्योग को लगाने में आगे आयेंगे। उत्तर प्रदेश में गोला आम की देशी वेरायटी में अत्यधिक मात्रा में पल्प पाये जाने से अवगत कराया गया और यह भी बताया गया कि इस प्रकार के छोटे छोटे पल्प उद्योगों से वाइनरी उद्योग के विकास में बढ़ावा मिलेगा।

श्री राहुल सिंह, द्वारा वाइनरी उद्योग के सम्बन्ध  में अपने विचार करते हुए एक जनपद एक उत्पाद योजना से जोड़ते हुए यह बताया गया कि बहुत से जिलों में विशेष प्रकार के फल बहुतायात में पैदा किये जाते हैं। इन जनपदों में उपभोग एवं अन्य उद्योगों से बचे हुए फलों को उपयोग में लाकर वाइनरी उद्योग स्थापना एवं तदनुसार किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी।

मुख्य अतिथि के रूप में अपर मुख्य सचिव, आबकारी श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा अपने संबोधन में किसानों और उद्योगों का एक दूसरे के साथ गहरा संबंध  बताते हुए किसानों को सबसे बड़ा निवेशक बताया। उनके द्वारा बताया गया कि किसानों को दैवी आपदा का पता न होने के बाद भी किसान काफी उत्साह के साथ खेती-किसानी का कार्य करता है। उनके द्वारा बताया गया कि वर्तमान में सरकार द्वारा किसानों को उनकी आय को दुगुना करने के उद्देश्य से अनेक प्रकार की योजनायें एवं कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। छोटे-छोटे उद्योगों को स्थापित करने में सरकार की योजनायें सम्बन्धित विभागों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। उनके द्वारा वाइनरी उद्योग को स्थापित किये जाने में इन्वसटर्स एवं किसानों को एक दूसरे का पूरक बताते हुए दोनों की आपसी आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य करने पर बल दिया गया। किसानों को अधिक से अधिक फल उत्पादन के लिये हार्टिकल्चर डिपार्टमेन्ट से आवश्यक निर्देश तथा योजनाओं का लाभ लेते हुए बागों के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया। वाइनरी उद्योग की स्थापना में कम जगह एवं कम लागत बताते हुए अच्छे आय के साधन के रूप में बताया गया। बाग प्रबंधन से वाइनरी उद्योग के लिये किसानों द्वारा छोटे छोटे बुटिक वाइनरी स्थापित किया जा सकता हैं और छोटे बड़े किसान भी गांव को ग्रामीण दूरिज्म के रूप में विकसित कर सकते हैं, जिससे उनके आय पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। उनके द्वारा बताया गया कि विभिन्न क्षेत्रों में जहॉं विशेष प्रकार के फल बहुतायत में पैदा किये जाते हैं वहॉं भी इस प्रकार के कान्फ्रेन्स आयोजित करते हुए निवेशक को आकर्षित करने तथा किसानो के आय में अभिवर्धन और वाइनरी उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कान्फ्रेन्स आयोजित किये जाते रहेंगे तथा प्रदेश को मजबूत अर्थव्यवस्था देने का काम किसानों व निवेशकों द्वारा किया जा सकेगा।

 आयोजित कांफ्रेंस में विभिन्न प्रदेशों से आए वाइन उत्पादक इकाईयों आल इण्डिया वाइन प्रोड्यूशर एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित मेसर्स जाइटेक्सं के श्री श्रीकांत मागर,  मेसर्स अल्फाटेक के श्री जगदीश पाटिल, मेसर्स रिदिम वाइनरीज के श्री अकल्पित प्रभाकर, मेसर्स रिसर्व के श्री नीरज अग्रवाल, मेसर्स इन्विशन इक्यूमपमेन्ट के श्री संजय झॉं, मेसर्स फ्रूट वाइन्स के श्री राजेश रसाल, मेसर्स इण्डियन वाइन इण्डस्ट्रीज के श्री अश्विन राड्रिक्सक आदि ने कांफ्रेन्स में वाइनरी उद्योग को बढ़ावा देने के संबंध में  विचार व्यक्त किये।

 कान्फ्रेन्स में वाइनरी उद्योग के सम्बन्ध में प्रतिभाग करने वाले प्लान्ट एवं मशीनरी उपलब्धं कराने वाले डेलीगेड्स द्वारा भी वाइनरी उद्योग की स्थापना के लिये मशीनों तथा टेक्नॉलाजी, उद्योग स्थापना में लगने वाली लागत और पूंजी निवेश के सम्बन्ध में समस्त उपस्थित डेलीग्रेडस को अवगत कराया गया। कान्फ्रेन्स में उपस्थित डेलीग्रेटस द्वारा विभिन्न प्रकार के क्वैयरी तथा अपेक्षाओं के सम्बन्ध में चर्चा हुई।

 आयोजित कांफ्रेंस में विभाग की ओर से मुख्य अतिथि के रूप में अपर मुख्य सचिव, आबकारी श्री संजय आर. भूसरेड्डी तथा आयुक्त, आबकारी श्री सेंथिल पांडियन सी. के अतिरिक्त विशेष सचिव, आबकारी श्रीमती निधि गुप्ता वत्स, अपर आबकारी आयुक्त श्री हरिश्चंद्र तथा अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

Tuesday, 5 July 2022

भारतीय स्थापत्य प्रतिभा को वैश्विक मंच पर मिली पहचान

  वसुंधरा पोस्ट  ब्यूरो

लंदन यूरोप का सबसे बड़ा वास्तुकला उत्सव (लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर) मनाता है, जिसमें भारत को पहली बार आमंत्रित किया गया था। जिसमें भारतीय स्थापत्य हुनर को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है जो भारत के लिए एक गर्व का विषय है। लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर यूरोप का सबसे बड़ा आर्किटेक्चर फेस्टिवल है जहां दुनियाभर के आर्किटेक्ट क्षेत्र के ख्याति प्राप्त वास्तुकार अपने विचार साझा करने और दुनिया में वास्तुकला क्षेत्र में किए जा रहे प्रयत्नों और उपलब्धियों को साझा करने लिए एकत्रित होते हैं। इस वर्ष यह उत्सव 1 जून से 30 जून तक पूरे लंदन में विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता है।

स्थापत्य क्षेत्र में कौशलता दिखाने के लिए लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर के प्रतिष्ठित मंच पर भारत को पहली बार बुलाया किया गया था। इस कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व विश्व विख्यात अरबन प्लानर और CP Kukreja Architects के मैनेजिंग डायरेक्टर, दीक्क्षू सी कुकरेजा ने किया। इस कार्यक्रम में श्री दीक्क्षू सी कुकरेजा ने "निर्मित पर्यावरण के 50 वर्ष" विषय पर एक प्रदर्शनी आयोजित की, जिसमें उन्होंने पिछले पांच दशकों से भारतीय वास्तुकला और डिजाइन की गई उत्कृष्ट संरचनाओं के विकास के बारे में बताया।

यह प्रदर्शनी 24 जून 2022 को ललित होटल लंदन में आयोजित की गई। प्रदर्शनी में प्रख्यात लेखक और नेहरू सेंटर, लंदन के निदेशक श्री अमीश त्रिपाठी और लंदन फेस्टिवल ऑफ आर्किटेक्चर की निदेशक सुश्री रोजा रोगिना सहित अन्य उल्लेखनीय गणमान्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस कार्यक्रम में भारत को पहली बार अपनी स्थापत्य संरचनाओं को प्रदर्शित करने के लिए आमंत्रित किए जाने पर श्री कुकरेजा ने बताया कि यह देखकर मुझे बेहद खुशी हो रही है कि समकालीन भारतीय वास्तुकला को विश्व स्तर पर भलीभांति स्वीकार्य किया जा रहा है। यह बेहद सुकून देने वाली बात है। यह मामला केवल इमारतें बनाने तक सीमित नहीं हैं बल्कि, हमारी इमारतें समाज को कैसे प्रभावित कर रही हैं यह मामला इस बात से भी जुड़ा हुआ है।"

प्राचीन वास्तुकला से लेकर मुगल वास्तुकला तक भारतीय स्थापत्य कला को हमेशा इसकी श्रेष्ठता के लिए सराहा गया है और हमेशा उच्च कोटि में रखा गया है। फिर भारत स्वतंत्रता संग्राम के बाद हमारा देश इस मामले में पिछड़ गया। औपनिवेशिक शासनकाल के दौरान बनाए गए वास्तुकला को ज्यादातर ब्रिटिश वास्तुकारों द्वारा डिजाइन किया गया था जिसमें भारतीय वास्तुकारों के योगदान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। साथ ही, उस दौर की स्थापत्य संरचनाओं को भारतीय परिवेश के अनुसार "प्रासंगिक" नहीं बनाया गया था।

अर्थव्यवस्था को संयोजने की जिम्मेदारी की और संसाधनों की कमी की वजह से भारत स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वास्तुशिल्पकला पर उतना जोर नहीं दे पाया लेकिन 1970 के दशक से स्थापत्य सरंचनाओं को तत्कालीन नए युग के वास्तुकारों की वजह से एक नई दिशा मिली, लेकिन फिर भी भारतीय स्थापत्य वैश्विक मान्यता से वंचित ही रहा।

यूरोप के सबसे बड़े वास्तुकला उत्सव में पहले भारतीय प्रतिनिधि होने पर श्री कुकरेजा ने बताया कि, "लंदन के इस वास्तुकला उत्सव में सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स के कार्यों के माध्यम से भारतीय वास्तुकला को प्रदर्शित करने का यह मौका न केवल भारत को वैश्वविक परिदृश्य पर एक नई पहचान दिलाएगा है बल्कि वास्तुकला और बुनियादी ढांचे के विकास के पैमाने पर भी हमारे देश में विदेशी निवेश के अवसर बढ़ाने के लिए दुनिया के नए लोगों का ध्यान आर्किषण करेगा। यह प्रदर्शनी भारत में शहरी विकास के पैमाने और अवसरों को बढ़ाना देने के लिए एक बड़ी उपलब्धि को दर्शाती है जो दुनिया के लिए भारत में बेहतर निवेश के ठिकाने के रूप में एक उम्मीद पैदा करेगी।

प्रदर्शनी में श्री कुकरेजा ने 1970 और 80 के दशक की ऐतिहासिक इमारतों के बारे में भी बताया, जिन्होंने भारत को स्थापत्य के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने में खासा योगदान दिया है। इसके अलावा, उन्होंने अन्वेषी और अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से 1990 और 2000 के वास्तुशिल्प संरचनाओं पर प्रकाश डाला, जिसने प्रयोगात्मक उत्साह को उजागर किया और पुरानी प्रथा को तोड़ दिया- जिससे आर्थिक उदारीकरण के नए युग में सामग्री और प्रौद्योगिकी के मामले में अंतहीन संभावनाओं की शुरुआत की।

21वीं सदी में हुए परिवर्तन पर बात करते हुए, श्री कुकरेजा ने स्थानीय संदर्भ के साथ अत्याधुनिक पद्धति और स्थिरता के मामले में भारतीय वास्तुकला के क्षेत्र में समकालीन नई पद्धतियों के बारे में भी बताया। श्री अमीश त्रिपाठी ने इस मौके पर बताया कि, "जब मैंने इन परियोजनाओं को देखा, तो पाया कि किस तरह से इन्होनें अपनी परियोजनाओं को डिजाइन करने के लिए स्थानीय सामग्रियों और स्थानीय परंपराओं का उपयोग किया है, इससे हम सभी को सीखना चाहिए।"

सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स की वह परियोजनाएं जिन्हें प्रदर्शनी में दिखाया गया:

इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली

अम्बादीप टावर्स, नई दिल्ली.

पाथवेज वर्ल्ड स्कूल, गुरुग्राम

करमापा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, नई दिल्ली.

गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

पूर्वी दिल्ली हब, नई दिल्ली

वल्लभ भवन एक्सटेंशन, भोपाल, मध्य प्रदेश

द ललित होटल, कैनाकोना, भारत

सेंट्रल विस्टा, नई दिल्ली के पुनर्विकास के लिए प्रस्ताव

दीक्षु सी. कुकरेजा का संक्षिप्त परिचय: दीक्षु सी. कुकरेजा ने स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर से बी.आर्क ऑनर्स में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। वे फ्रैंक लॉयड राइट स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, यूएसए में प्रतिष्ठित टेल्स इन फेलोशिप में भाग ले चुके हैं और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और अर्बन डिज़ाइन में मास्टर्स कीडिग्री हासिल कर चुके हैं। दीक्षु सी. कुकरेजा को हाल ही में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ आर्किटेक्ट्स (यूआईए) द्वारा दुनिया के शीर्ष 100 आर्किटेक्ट्स में शामिल¬¬¬¬ किया गया है। दुबई एक्सपो-2020 में उनकी प्रतिष्ठित परियोजनाओं में एक इंडिया पवेलियनपरियोजना को अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स (एआईए) द्वारा सर्वश्रेष्ठ पवेलियन में से एक की मान्यता प्रदान की गई थी।

सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स के बारे में: सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स (CPKA) 1969 में स्वर्गीय सीपी कुकरेजा द्वारा स्थापित एक बहु-विषयक वास्तुकला पद्धति है, जो 1970 और 80 के दशक में चार्ल्स कोरिया और राज रेवाल जैसे समकालीनों के साथ भारत के आधुनिक वास्तुकला क्षेत्र में हो रही गतिविधियों में सबसे आगे थी। इस प्रथा ने स्वतंत्र भारत के निर्मित वातावरण के लिए एक विशिष्ट पहचान स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पिछले पचास वर्षों में 1000 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।

Wednesday, 29 June 2022

मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल 10 से 12 नवंबर तक मेरठ में


 पूनम पंडित / मेरठ

 मेरठ/क्रांतिधरा साहित्यअकादमी द्वारा आज रोहटा रोड, मेरठ स्थित कार्यालय पर एक आयोजन समिति की बैठक हुई जिसमें मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के आयोजन संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई और निर्णय लिया गया कि दिनांक 10, 11, 12 नंवबर 2022 को यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा ।

तीन दिवसीय क्रांतिधरा मेरठ साहित्यिक महोत्सव (मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल) में  जिसमें समस्त भारत, नेपाल, भूटान, बंगलादेश, मारिशस, कनाडा, बेल्जियम, इंग्लैंड, अमरीका, रूस, इथोपिया, ओमान, कतर, तिब्बत , नार्वे आदि देशों से साहित्यिक विभूतियां शामिल रहेंगी । तीन दिवसीय आयोजन में पुस्तक प्रदर्शनी , साहित्यिक परिचर्चाएं, सामाजिक परिचर्चाएं, शोध पत्र , पुस्तक विमोचन, पुस्तक समीक्षा , साक्षात्कार, लघु कथा वाचन , रंगमंच, सांस्कृतिक कार्यक्रम, अनुवाद , कवि सम्मलेन, मुशायरा, ओपन माइक, सम्मान समारोह सत्र आयोजित किए जाएंगे । 

मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल की आज की बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ गज़लकार डा कृष्ण कुमार 'बेदिल' द्वारा की गई और संचालन डा रामगोपाल भारतीय, विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजसेवी व संवाद ग्रुप के निदेशक प्रशांत कौशिक रहे । संजय कुमार शर्मा, ब्रजराज किशोर 'राहगीर', हरीश शर्मा,  नितीश कुमार राजपूत, सुषमा 'सवेरा' , मुक्ता शर्मा, जूही शर्मा शामिल रहे और अपने विचार रखें ।

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी की अध्यक्ष पूनम पंडित ने सभी का स्वागत किया और बताया कि उनकी संस्था का उद्देश्य वसुद्धैव कुटुम्बकम् की विचारधारा के साथ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साहित्यिक सेतु का निर्माण करते हुए नवोदित व गुमनाम साहित्यिक प्रतिभाओं को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करना है ।

 बैठक के साथ ही 'मैंगो पार्टी' (आम की दावत) का भी सभी ने आनंद लिया और एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया । जिसमें डा कृष्ण कुमार बेदिल, डा रामगोपाल भारतीय, संजय कुमार शर्मा जी, ब्रजराज किशोर राहगीर जी, प्रशांत कौशिक जी, डा विजय पंडित, सुषमा सवेरा जी, मुक्ता शर्मा जी, पूनम पंडित जी, नितीश कुमार राजपूत जी ने कविता पाठ किया ।

बदल रही है चमन की फिज़ा पता है क्या।

नसीमे-सुब्ह का नश्तर कोई चुभा है क्या।

फिर इंक़लाब की आहट सुनाई देती है

क़फ़स को ले के परिन्दा कोई उड़ा है क्या ...

डा कृष्ण कुमार 'बेदिल' 

रोज फोन पर सारे घर की,

खोज खबर लेती हो।

अपनी भी तो कभी बताओ,

बिटिया,तुम कैसी हो।

डॉ रामगोपाल भारतीय ।

नवगीत:

हम तो चले ढूंढने खुशियाँ गम ही हाथ लगे

चहकीं सांसे सपन नयन में

फिरते डगर-डगर

लेकिन खबर न थी इतनी_सी

दुख है नगर-नगर

झील किनारे बैठे- बैठे सारी उमर जगे ..

संजय कुमार शर्मा

बिना सोचे हुए कुछ बोलना अच्छा नहीं होता।

मुहब्बत को तुला पर तोलना अच्छा नहीं होता।

कि रिश्तों में भरोसे का बना रहना ज़रूरी है,

वफ़ा की बंद मुट्ठी खोलना अच्छा नहीं होता ...

बृज राज किशोर ‘राहगीर’

वो मिलेंगे कभी तो बताएँगे हम

कैसे जीते हैं हम,कैसे पीते है ग़म

याद उनकी मुझे यूँ सताती रही,

अश्क़ बहते नहीं आँखे रहती हैं नम ..

सुषमा 'सवेरा' 

जिस पर भी मैं का रंग ‌चढ़ा है उतर गया।

दुनिया में जो पैदा हुआ इक रोज़ मर गया।

तारीख़    बताती  है ये मैं नहीं कहती।

दुनिया से ख़ाली हाथ सिकंदर गुज़र गया ... 

मुक्ता शर्मा

ये शोहरत कुछ दिनों की है किसे फिर याद आएगी

मेरा दावा है दुनिया बात सारी भूल जाएगी

ज़माना भूल जाएगा ज़माने भर की बातों को

मगर दुनिया मोहब्बत की हज़ारों साल गायेगी .. 

नीतीश राजपूत

बैठक के समापन पर कार्यक्रम अध्यक्ष डा कृष्ण कुमार बेदिल ने सभी की उपस्थिति, विचारों व कविता पाठ करने के लिए आभार जताया और आगामी आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी ।

 


Thursday, 16 June 2022

लोक कलाओं को संरक्षण हेतु ग्राम पंचायतों को वाद्य यंत्रो की किट : जयवीर सिंह

(वसुंधरा पोस्ट ब्यूरो) 
लखनऊ: 16 जून, 2022 / उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा है कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर संस्कृति विभाग द्वारा आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहूति देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गाँव को चिन्हित करके संस्कृति विभाग के विभिन्न संस्थानों के माध्यम से आजादी की लड़ाई में उनके द्वारा दिये गये बहुमूल्य योगदान को आम जनता के बीच पहुचाया जायेगा। इसके अलावा उनके परिजनों को सम्मानित भी किया जायेगा। इससे स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्वारा दिये गये योगदान के बारे में आम जनता को बताया जायेगा। इससे आने वाली पीढ़ी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के त्याग एवं बलिदान से प्रेरणा मिलेगी और राष्ट्रप्रेम की भावना बलवती होगी।

पर्यटन मंत्री आज यहां पर्यटन निदेशालय में संस्कृति विभाग के जुडे विभिन्न संस्थानों को गत वित्तीय वर्ष के दौरान आवंटित बजट एवं उसके विरूद्ध अर्जित की गयी उपलब्धियों एवं भावी योजनाओं के बारे में समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृति विभाग के विभिन्न संस्थानों द्वारा गतिविधियों को और बेहतर बनाये, इसके साथ ही लम्बित देयों का भुगतान 30 जून तक हर हाल में सुनिश्चित करे। इसके साथ ही प्रस्तावित योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए तेजी से कार्यवाही सुनिश्चित करे।

श्री जयवीर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोक कलाओं की विशाल धरोहर है। कुछ लोक कलाएं विलुप्ति की कगार पर है। इन प्राचीन विरासत को पुर्नजीवित करने के लिए कला एवं कलाकारों को प्रोत्साहित करना जरूरी है। इसको दृष्टिगत रखते हुए संस्कृति विभाग द्वारा विज्ञापन जारी करके ग्रामाणी क्षेत्रों में रहने वाले कलाकारों से आवेदन पत्र प्राप्त किया जायेगा और मण्डलवार उनकी कलाओं का प्रस्तुतीकरण लखनऊ में कराया जायेगा। इसके पश्चात उनका पंजीकरण कराया जायेगा। पंजीकृत कलाकारों को प्रदेश में आयोजित होने वाले पर्व, त्यौहारों, बड़े मेलों एवं अन्य अवसरों पर अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान किया जायेगा। उन्होंने संस्कृति विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में यथाशीघ्र कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दिये है।

पर्यटन मंत्री ने यह भी कहा कि प्राचीन लोक कलाओं की थाती को संरक्षित करने के लिए प्रदेश की 58 हजार ग्राम्य सचिवालयों को वाद्य यंत्रो की किट प्रदान की जायेगी। जिसके अन्दर ढोल, मजीरा, हारमोनियम आदि वाद्य यंत्र शामिल होंगे। खाली समय में गाँव के लोग पंचायत घरों में बैठकर बिरहा, आल्हा, भजन आदि का गायन कर सकेंगे। इसका उद्देश्य लोक कलाओं को जीवंत बनाये रखने के साथ ही गाँवो में आपसी भाई-चारा एवं सौहार्द को बढावा देना है।

महानिदेशक एवं प्रमुख सचिव पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम ने संस्कृति विभाग के अन्तर्गत आने वाले विभिन्न संस्थानों की गतिविधियों एवं भावी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय को विधिवत क्रियाशील किये जाने के लिए सभी आवश्यक प्रक्रियाओ को पूरा करने के निर्देश दिये। इसके साथ ही राष्ट्रीय कथक संस्थान, राज्य ललित कला अकादमी, भारतेन्दु नाट्य अकादमी, संगीत अकादमी, जैन शोध संस्थान आदि को और गतिशील किये जाने के निर्देश दिये। उन्होने लम्बित भुगतान एवं वित्तीय मामलों का निस्तारण एक सप्ताह में करने के निर्देश विशेष सचिव संस्कृति को दिये।

निदेशक सूचना एवं संस्कृति विभाग श्री शिशिर  ने संस्कृति विभाग के अन्तर्गत आने वाले विभिन्न संस्थानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होने कहा कि मा0 मंत्री द्वारा समीक्षा बैठक में दिये गये सभी निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जायेगा। इसके साथ ही संस्थानों द्वारा तैयार की गयी कार्य योजना एवं लक्ष्यों को निर्धारित समय में प्राप्त किया जाये। इस अवसर पर उ0 प्र0 पर्यटन विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री अश्विनी कुमार पाण्डेय, विशेष सचिव संस्कृति, आनन्द कुमार सिंह सहित विभिन्न संस्थानों के निदेशक एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

Monday, 6 June 2022

अब महिलाएं सपना नहीं देखती,उसे क्रियान्वित करती हैं : स्मृति ईरानी

वसुंधरा पोस्ट ब्यूरो 

वाराणसी. केंद्रीय स्त्री एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बोला है की केंद्र गवर्नमेंट ने स्त्रियों और बालिकाओं के लिए अनेक कल्याणकारी योजना संचालित की है, जिनका उन्हें भरपूर फायदा मिल रहा है. उन्होंने कहा  कि एक दौर था जब महिलाएं सपना देखती थी पर बोलने का अधिकार और हौसला उनमे नहीं थी . आज छोटी उम्र में ही लड़कियां जो सपना देख रही है, उन्हें विश्वास है कि पीएम श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में उनके सपने जरूर पूरे होंगे. केंद्रीय स्त्री एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी  सोमवार को वाराणसी में स्त्री एवं बाल विकास मंत्रालय की 8 वर्ष की उपलब्धियों की समीक्षा के लिए आयोजित जोनल और सब जोनल  बैठक को सम्बोधित कर रहीं  थी। उन्होंने बोला कि  आज दो पीढ़ियों का फर्क साफ नजर आ रहा है, और  यह  बात वह स्वयं  नहीं कर रहीं बल्कि यह  यहां की चर्चा से निकलकर आईं हैं.आज महिलाएं जो सपने देख रही हैं वह गवर्नमेंट की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूरे करने में भी सफल हो रही हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा  कि हेल्पलाइन नंबर 1098 की सहायता से 2014 से लेकर 2021 तक करीब 18 लाख बच्चों का संरक्षण किया गया है. इसी तरह मंत्रालय की पहल से 21 लाख बच्चियों को 18 साल से पूर्व विवाह करने से रोककर उनके जीवन को संवारा गया है. स्त्रियों के लिए विभिन्न तरह की कई हेल्पलाइन नंबर चलाई जा रही है. इसके माध्यम से करीब 70 लाख स्त्रियों को विभिन्न उपायों से सहायता पहुंचाई गई है.

केंद्रीय मंत्री ने बैठक के दौरान विभिन्न स्त्रियों और बालिकाओं  के साथ वार्ता  और उनकी प्रतिक्रिया जानी। महिला प्रतिभगियों के मुश्किल परिश्रम से कामयाबी प्राप्ति का उदाहरण देते हुए उन्होंने बोला कि यह स्त्रियों और बेटियों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. उनके इन बातों से दूसरे बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। उन्होंने  महिलाओं को अपनी क्षमता को पहचान कर आगे बढ़ने का  आह्वान किया। कार्यक्रम के दौरान कुछ बेटियों ने आईएएस ऑफिसर, बैंक ऑफिसर और शिक्षक बनकर नव हिंदुस्तान के निर्माण में अपना सहयोग देने की बात कही. ये वे बच्चियां थीं जो कम उम्र में अपने माता पिता को खो दिया और विभिन्न सेंटर में रहकर मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहायता प्राप्त कर अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं. केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने इन बच्चियों को अपने सपने साकार करने के लिए हर संभव सहायता मौजूद कराने की बात कही. उन्होंने बोला कि बेटियों का बेखौफ होकर कहना ही हमारी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं' की सबसे बड़ी कामयाबी है.

केन्द्रीय मंत्री ने पीएम को धन्यवाद देते हुए बोला कि पीएम श्री मोदी जी ने  लालकिले की प्राचीर से बोला था कि जन औषधि केन्द्रों से एक रूपए में प्रति सेनेटरी पैड मौजूद कराएंगे, तो आज हम सभी माताओं और बहनों को मासिक धर्म की सुरक्षा के लिए उनके संकल्प मुताबिक सेनेटरी पैड 8 हज़ार से अधिक जन औषधि केंद्र के माध्यम से मौजूद करवा पा रहे हैं.

उन्होंने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए बोला कि समूह की स्त्रियों के उत्थान के लिए अब तक चार लाख करोड़ रुपए बैंक के लोन के रूप में देने का काम माननीय मोदी जी के नेतृत्व में किया गया है. केन्द्रीय मंत्री ने बोला कि आंगनबाड़ियों की दीदियों, केन्द्र और राज्य के सभी संस्थाओं का हार्दिक आभार है, जिन्होंने पोषण को एक जनआंदोलन बना दिया.

श्रीमती स्मृति ईरानी ने बताया कि गवर्नमेंट ने 9 हज़ार करोड़ का निर्भया फण्ड के रूप में बेटियों की सुरक्षा के लिए आवंटित किया है. इस फण्ड के माध्यम से हर पुलिस थाने में एमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम की स्थापना, फास्टट्रैक न्यायालय की स्थापना और रेलवे स्टेशनों पर इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम की स्थापना की गई है. इसके माध्यम से 80 हजार से अधिक मामलों का निवारण किया जा चुका है . उन्होंने बताया कि कोविड-19 की महामारी से अनाथ हुए बच्चों को उनकी शिक्षा और पालन पोषण के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन के माध्यम से सहायता मौजूद करायी गयी है.

कार्यक्रम के शुरू में स्त्री एवं बाल विकास विभाग, यूपी के निदेशक मनोज राय ने मेहमानों को स्वागत किया. कार्यक्रम में केन्द्रीय स्त्री एवं बाल विकास राज्यमंत्री डाक्टर मुंजपारा महेन्द्रभाई, स्त्री एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडेय और स्त्री एवं बाल विकास मंत्रालय के एडिशनल सचिव अदिति दास राउत सहित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के प्रतिनिधि और अनेक जनप्रतिनिधिगण मौजूद थे. कार्यक्रम के दौरान यूएन, यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने भी अपना प्रजेंटेशन दिया. बाद मे केंद्रीय मंत्री ने पंडित दीन दयाल हॉस्पिटल स्थित वन स्टॉप सेंटर  का दौरा कर सेंटर मे लड़कियों व स्त्रियों का हाल जाना.

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