Friday, 4 November 2022

उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान का .....

कहानी, कविता, निबन्ध प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरित 

लखनऊ / उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध व गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह का आयोजन एवं कहानी, कविता, निबंध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन आज यहां यशपाल सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार, डॉ0 सूर्यप्रसाद दीक्षित, डॉ0 हेमांशु सेन, एवं डॉ0 अनिल कुमार विश्वकर्मा  उपस्थित थे।

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित ‘हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध एवं गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह‘ अवसर पर  सम्माननीय अतिथि डॉ0 सूर्यप्रसाद दीक्षित, लखनऊ, डॉ0 हेमांशु सेन, लखनऊ एवं अनिल कुमार विश्वकर्मा, लखनऊ उपस्थित थे। कार्यक्रम में वाणी वंदना सुश्री कामनी त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत की गयी।

अभ्यागतों का स्वागत करते हुए श्री आर0पी0सिंह निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित हरिवंशराय बच्चन, गजानन माधव मुक्तिबोध व गौरापंत शिवानी स्मृति समारोह में आप सबका स्वागत अभिनन्दन एवं वंदन है। साहित्य का क्षेत्र बहुत व्यापक है। अपनी हमारा जीवन कला, साहित्य, संस्कृति से मिलकर बना हुआ है। विज्ञान का भी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। साहित्य में क्रांति को जगाने की क्षमता है। साहित्य ने समय-समय पर देश व राष्ट्र में जागृति लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।

इस अवसर पर कहानी, कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता पुरस्कार हेतु चयनित युवा रचनाकारों में कहानी प्रतियोगिता  प्रथम पुरस्कार सुश्री रोशनी रावत, लखनऊ, द्वितीय पुरस्कार- सुश्री शिखा सिंह ‘प्रज्ञा‘, लखनऊ, तृतीय पुरस्कार- श्री हिमाशु सिंह, लखनऊ, सांत्वना पुरस्कार-श्री श्यामजी अवस्थी, कानपुर देहात, श्री विक्रान्त बाह्ण   झाँसी, सुश्री पूनम सिंह, प्रयागराज तथा कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार-श्री दिलीप व्यास, झाँसी, द्वितीय पुरस्कार-सुश्री वंदिता पाण्डेय, लखनऊ, तृतीय पुरस्कार- सुश्री नीरजा चतुर्वेदी, अयोध्या, सांत्वना पुरस्कार- श्री अमन कुमार, बरेली, श्री विशाल श्रीवास्तव, फर्रुखाबाद एवं  निबंध प्रतियोगिता प्रथम पुरस्कार- श्री स्नेह द्विवेदी, वाराणसी द्वितीय पुरस्कार- श्री पवन सिंह, प्रयागराज, तृतीय पुरस्कार- सुश्री आकांक्षा गुप्ता, चन्दौली, सांत्वना पुरस्कार- सुश्री निहारिका दुबे, गोरखपुर, श्री श्रेयस सिंह, गोरखपुर को पुरस्कार धनराशि, उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया गया।

डॉ0 अनिल कुमार विश्वकर्मा ने मुक्तिबोध पर बोलते हुए कहा -गजानन माधव मुक्तिबोध का साहित्य विस्तार व्यापक है। मुक्तिबोध स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी थे। वे अध्ययन के प्रति बहुत सचेत रहे। मुक्तिबोध स्वभाव से विद्रोही थे। साहित्य जगत में उनकी रचनाओं का मूल्यांकन कम हुआ आलोचनाएँ अधिक हुईं। वे मार्क्सवाद के विरोधी थे बाद में उसके समर्थक बन गये। वे किसानों के हितों के समर्थक थे। वे आशावदिता के पक्षधर थे।

डॉ0 हेमांशु सेन, लखनऊ ने कहा- युवारचनाकारों को सम्मानित किया जाना सुखद संयोग है। गौरापंत शिवानी की लखनऊ कर्मभूमि रही है। शिवानी की रचनाओं में कलात्मकता है। शिवानी की कहानियाँ, उपन्यास पाठकों के हृदय में एक छाप छोड़ जाती हैं। शिवानी नारी का समाज में स्थिति व उनकी भूमिका का वर्णन अपनी रचनाओं में बहुत अद्भुत ढंग से करती हैं। शिवानी की कथा-शैली में अप्रतिम व अद्भुत क्षमता है। शिवानी अपनी नारी पात्रों को स्वाभिमान प्रदान करती हैं। ‘‘कृष्णकली‘‘ रचना में नारी की सबलता व उसका स्वाभिमान प्रभावी जान पड़ता है।

सम्माननीय अतिथि के रूप में डॉ0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने हरिवंश राय बच्चन के बारे में कहा हरिवंश राय बच्चन लोकप्रियता के पराकाष्ठा पर हैं। मुधशाला, मधुबाला, मधुकलश उनकी लोकप्रिय रचनाएँ हैं। मधुशाला को जो स्थान व लोकप्रियता साहित्य में मिली किसी अन्य रचना को नहीं मिल सकी। उनकी रचनाएँ पाठकों को मनोरंजित करती है। उनकी रचनाएँ जीवन संघर्ष को प्रतिबिम्बत करती है। वे मंच के सफलतम कवियों में से थे। वे राष्ट्रीय चेतना के भी कवि हैं। ‘अग्निपथ....अग्निपथ‘ जीवन संघर्ष की कविता है। उनकी साहित्यिक दृष्टि सार्वभौमिक थी। वे लोक जीवन के कवि हैं। बच्चन जी का अनुवाद के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने डायरी, संस्मरण, आत्मकथा आदि पर भी अपनी लेखनी चलायी है। गीता का कई भाषाओं में अनुवाद किया था। उनकी रचनाओं में अध्यात्म का व्यापक प्रयोग व उसका प्रभाव रहा। उनका साहित्य समग्र जीवन दर्शन रहा है।डॉ0 अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कार्यक्रम का संचालन किया।  इस संगोष्ठी में उपस्थित समस्त साहित्यकारों, विद्वत्तजनों एवं मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त किया।

Thursday, 20 October 2022

प्रमिला भारती को निशंक साहित्य सम्मान एवं प्रो. कमला श्रीवास्तव को विद्या मिश्र लोक संस्कृति सम्मान-2022


लखनऊ: 20 अक्टूबर, 2022 (वसुंधरा पोस्ट). डॉ0 लक्ष्मीशंकर मिश्र ‘निशंक‘ की 104वीं जयन्ती के शुभ अवसर पर डॉ. लक्ष्मीशंकर मिश्र ‘निश्ंाक’ अध्ययन संस्थान एवं उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधन में जयन्ती समारोह का आयोजन किया गया। श्री उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में श्रीमती प्रतिमा भारती को डॉ0 लक्ष्मीशंकर मिश्र ‘निशंक‘ साहित्य सम्मान से एवं प्रो0 कमला श्रीवास्तव को विद्या मिश्र लोक संस्कृति सम्मान से समादृत करते हुए प्रत्येक को ग्यारह-ग्यारह हजार रूपये की धनराशि, मानपत्र, स्मृति चिह्न उत्तरीय भंेट की गयी। इस अवसर पर वाणी वन्दना की प्रस्तुति श्रीमती मीनाक्षी शुक्ल द्वारा की गयी। मंचासीन अतिथियों को उत्तरीय एवं स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया गया। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. कमला शंकर त्रिपाठी ने अभ्यागतों का स्वागत किया। आमंत्रित कवियों का उत्तरीय द्वारा स्वागत डॉ. आलोक मिश्र द्वारा किया गया।

   डॉ. लक्ष्मीशंकर मिश्र ‘निशंक’ अध्ययन संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘निशंक सुरभि’ वार्षिक पत्रिका, डॉ. निशंक जी के ब्रजभाषा काव्य ‘बूड़ि गयो मन राम के रंग मैं’ तथा श्री केशव प्रसाद वाजपेयी की पुस्तक ‘जनमत’ (कविता संग्रह) का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।इस अवसर पर डॉ. निशंक साहित्य सम्मान से सम्मानित श्रीमती प्रमिला भारती ने डॉ. निशंक जी की कविताओं का सस्वर पाठ किया। विद्या मिश्र लोक संस्कृति सम्मान से सम्मानित प्रो. कमला श्रीवास्तव ने डॉ. लक्ष्मीशंकर मिश्र ‘निशंक’ की पुस्तक ‘साधना के स्वर’ से एक कविता - ‘साधना के इन स्वरों में रागिनी बन समाओ...।’’ का सस्वर पाठ किया।

डॉ. निश्ंक जी की पुस्तक ‘बूड़ि गयो मन राम के रंग मैं’ पर डॉ. उमाशंकर शुक्ल ‘शितिकण्ठ’ ने सारगर्भित व्याख्यान दिया। इसके उपरान्त प्रो. उषा सिन्हा ने ‘लोकगीतों में अभिव्यक्त संस्कृति एवं पर्यावरण’ विषय पर व्याख्यान दिया। समारोह की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा - निशंक जी ने अपनी कविता और आदर्शो से समाज में  उच्च जीवन मूल्यों और आदर्शों की स्थापना करने का महान कार्य किया है। वे अपनी श्रेष्ठ रचनाओं में सदैव जीवित रहेंगे। उनको सादर नमन। इस अवसर पर लोकभाषा काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. उमाशंकर शुक्ल ‘शितिकण्ठ’ (ब्रजभाषा) ने पढ़ा - कबौं बेदरिचा मैं अनूप सुयौं, अपरूप सुन्यौ कबौं साहन मैं/कबौं पाहन मैं दुरे देख्यौं तुम्हैं, ऊबौं देख्यौं सनेत की चाहत मैं/कबौं दाहन मैं बिलखात लख्यौं, मुसकात प्रतीति की बाँहन मैं/कबौं देखिहौं रावरी रूप घटा, ब्रज रेनू छटा रची राहन मैं। डॉ. सुरेश (हिन्दी) ने पढ़ा - जो मिलन के पर्व बन आये कभी थे/वे विदा के गीत बनकर रह गये हैं।

श्री शिवमंगल सिंह ‘मंगल’ (बुन्देली) ने पढ़ा - सबको राम जुहार हमारी, अब चलिबे की बारी/रामनगर की डगर कठिन है, सोकर लयि तैयारी/खोटे सिक्के वहाँ न चलहैं, ना ही मिलै उधारी/सदकर्मन की लयी पुटरिया, कछु लै लयि रिजगारी। श्री ब्रज मोहन प्रसाद ‘अनारी’ (भोजपुरी) ने पढ़ा - शीश सम्मान में झुकावत बानीं/सद्गुन गुनगुना के गावत बानीं/लक्ष्मीशंकर जी ‘निशंक’ जी के/आपन सरधा सुमन चढ़ावत बानीं। श्री राम किशोर तिवारी (अवधी) ने पढ़ा - जीवन बोझ भवा जिनकै चहुंओर भई जिनके अंधियारी/एक दिया वहिके अंगना बरि जाय तो  जानौ भई है देवारी। श्रीमती प्रमिला भारती (हिन्दी) ने अपनी प्रसिद्ध रचना रिटायर्मेंट की प्रस्तुति की। श्री उदय प्रताप सिंह ने अपनी प्रसिद्ध कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। धन्यवाद ज्ञापन श्री अनिल मिश्र ने एवं संचालन श्री पद्मकान्त शर्मा ‘प्रभात’ ने किया।

लता दीदी के जन्मदिन पर सुर साधिका का आयोजन

लखनऊ (वसुंधरा पोस्ट) . बीते दिनों स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के जन्मदिन के साथ देश विदेश में सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक औtर सामाजिक संस्था सुर ताल संगम ने संस्था की डायरेक्टर अंतरराष्ट्रीय ख्याति लब्ध गायिका डॉ जया श्रीवास्तव के जन्मदिवस को सुर साधिका सीज़न 4 कार्यक्रम का शानदार आयोजन करके मनाया गया।

भव्य संगीत समारोह का विधिवत शुभारंभ मंत्रोच्चार एवं दीप प्रज्वलित करके बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में दिल्ली से पधारे जीतेंद्र कपिल गुरु जी, भाजपा युवा प्रकोष्ठ के राहुल गुप्ता,समाज सेवी शिखा सिंह, संस्था के संरक्षक धर्मेन्द्र श्रीवास्तव, सहर जावेद फारुकी और देवेन्द्र मोदी आदि ने किया। फिर लोकप्रिय बाल नृत्यांगना उन्नति श्री ने लता मंगेशकर द्वारा गायी सरस्वती वंदना से संगीत संध्या की शुरुआत की। इसके बाद सुर साधिका प्रतियोगिता में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाली नवोदित एवं प्रतिष्ठित गायिकाओं ने कार्यक्रम की रुपरेखा के अनुसार लता मंगेशकर और आशा भोंसले के गीतों से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। जिनमें अद्विका श्रीवास्तव, अमन जावेद फारुकी, ऐमन जावेद फारुकी, दृष्टि बाधित बानी चावला, अनन्या श्रीवास्तव, नाहिद नाज़, अनीता सिंह, वन्दना श्रीवास्तव, सीमा विरमानी, मधुमिता, दिव्यांग कलाकार शबीना सैफी सहित स्वयं जया श्रीवास्तव ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को यादगार बनाया। संस्था के सम्मानित पदाधिकारियों में शामिल गायकों ने भी सुर साधिकाओं के साथ सुर मिलाते हुए लता मंगेशकर और आशा भोंसले के सदाबहार गीत सुनाकर आयोजन को चार चांद लगा दिए। जिनमें डॉ विश्वास वर्मा, प्रवीण श्रीवास्तव, देवेन्द्र मेंगी, अभय श्रीवास्तव, हरीश गौड़, अतुल, रमन श्रीवास्तव आदि ने सुर साधिका प्रतिभागियों के साथ बेहतरीन युगल गीतों को प्रदर्शित कर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में समाज सेवी नीलोफर नवाज़ खान, हिमांशु पाण्डेय, मोहम्मद अफ़ज़ाल, गीतांजलि अय्यर, अब्दुल हक , शशि भूषण संज्ञा, एजाज हुसैन आदि सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए संस्था के पदाधिकारियों में प्रमुख रूप से अविजित श्रीवास्तव, डॉ विश्वास वर्मा, अतुल, रमन श्रीवास्तव, देवेन्द्र मेंगी, अभय, प्रवीण श्रीवास्तव आदि ने शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन रत्ना शुक्ल ने किया। संस्था के मुख्य संरक्षक मंडल द्वारा सभी अतिथियों, पदाधिकारियों एवं कलाकारों को अंगवस्त्र, बुके और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

सभी ने लता मंगेशकर को सादर श्रद्धांजलि देते हुए सुप्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले और संस्था की डायरेक्टर जया श्रीवास्तव को उज्जवल भविष्य और आदर्श जीवन के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं तथा आयोजन की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए ऐसे ही कलाकारों को प्रोत्साहित करते रहने हेतु सुर ताल संगम संस्था को बधाइयां एवं साधुवाद दिया। कार्यक्रम के अंत में बतौर मुख्य अतिथि संस्थापिका डॉ जया श्रीवास्तव ने सभी का आभार व्यक्त करते धन्यवाद ज्ञापन दिया।


Saturday, 15 October 2022

'आर्थराइटिस मरीजों की बढ़ती संख्या को कम करने में जागरूकता का विशेष महत्व': श्रीमती नम्रता पाठक

विश्व आर्थराइटिस दिवस पर आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ़ लखनऊ द्वारा जागरूकता कार्यक्रम
लखनऊ,15 अक्तूबर (विज्ञप्ति) विश्व आर्थराइटिस दिवस के अवसर पर आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ़ लखनऊ ने जागरूकता कार्यक्रम का अक्टूबर 15, 2022, को सुबह आयोजन किया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाज सेविका आदरणीय श्रीमती नम्रता पाठक जी, पत्नी माननीय उप-मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार माननीय श्री ब्रजेश पाठक, उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आदरणीय श्रीमती नम्रता पाठक जी ने कहा की आर्थराइटिस मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए जागरूकता को बढ़ने की भी अत्यधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा की इलाज से बेहतर उपाय बचाव है और इसके लिए जागरूकता एक शशक्त हथियार है। श्रीमती नम्रता पाठक ने वर्ल्ड आर्थराइटिस डे कार्यक्रम के अंतर्गत साइकिल रैली में प्रतिभाग करने वाले बड़ी संख्या में आये हुए साइकिलिस्ट को झंडा दिखा कर रवाना किया। साइकिल रैली हेल्थसिटी हॉस्पिटल से शुरू हुई। उन्होंने हेल्थसिटी हॉस्पिटल द्वारा गोद लिए गए दो चौराहों का, जिन्हे आज सुसज्जित भी किया गया था, अनावरण किया। यह चौराहे हेल्थसिटी हॉस्पिटल द्वारा सँवारे जायेंगे।
श्रीमती पाठक ने अस्पताल परिसर में पांच पौधे भी लगाए। वहीँ उन्होंने दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल भी वितरित की।
आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ़ लखनऊ के संस्थापक डॉ संदीप कपूर ने इस अवसर पर कहा की समाज में दिव्यांगों को उचित सम्मान दिलाना भी सभी की जिम्मेदारी है। डॉ कपूर ने कहा की हर एक सरकारी एवं निजी दफ्तर अथवा कार्यालय में दिव्यांगों हेतु रैंप निर्माण होना चाहिए वहीँ उनके लिए अलग स्थान की भी व्यवस्था होनी चाहिए जिस से की उन्हें कोई कठिनाई न हो।
आर्थराइटिस फाउंडेशन ऑफ़ लखनऊ के संस्थापक डॉ. संदीप गर्ग ने बताया कि आर्थराइटिस प्रमुख रूप से शरीर के जोड़ों पर असर करता है। परन्तु इसका प्रभाव कई प्रकार से व्यक्ति के पूरे जीवन पर पड़ जाता है। आर्थराइटिस आज जीवन शैली सम्बन्धित बीमारियों में प्रथम स्थान रखता है।
डॉ. कपूर ने बताया कि लखनऊ में 5 लाख से अधिक व्यक्ति  आर्थराइटिस से प्रभावित हैं। आर्थराइटिस के उपचार व बचाव पर बात करते हुए डॉ. कपूर ने कहा कि आर्थराइटिस अन्ततः प्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से पूर्णतः ठीक हो जाता है परन्तु आधुनिक दवाओं के माध्यम से प्रत्यारोपण को काफी समय तक टाला भी जा सकता है। साथ ही मरीज इस दौरान दर्द से भी छुटकारा पा सकते हैं। डॉ. कपूर ने कहा कि आर्थराइटिस उपचार के अधिक माध्यम नहीं है। इस कारण जो मरीज वैकल्पिक उपचार की ओर जाते हैं वे बीमारी को एक प्रकार से बढ़ावा देते हैं। समय पर सही इलाज जरूरी है।
डॉ. संदीप गर्ग ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 10 दस में से साथ व्यक्ति आर्थराइटिस से परेशान होते हैं। यह जोड़ों से सम्बन्धित एक जैसी स्वास्थ्य से परेशान होते हैं। बीमारी से ग्रसित व्यक्ति तरह-तरह की परेशानी से गुजरता है। दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई, जोड़ों में अकड़न महसूस होना समेत दूसरी परेशानियाँ होती हैं। मरीज यह महसूस करता है कि वह पहले की तरह चीजों को पकड़ भी नहीं पा रहा है।
कार्यक्रम में डॉ दर्शना कपूर, डॉ एएम् सिद्दीकी, डॉ फरहद सिद्दीकी, डॉ पुलकित, डॉ केपी चंद्रा, डॉ केबी जैन, ऋतू गर्ग,  डॉ नवनीत त्रिपाठी, डॉ आशुतोष पांडेय, डॉ शैलेन्द्र, अमन ओहरी, जयदीप, इन्द्रसेन, अनुज, विनोद, अमित पांडेय व अम्बुज बारीगोल्डी उपस्थित रहे। इस अवसर पर साइकिल रैली एवं वॉकथॉन के अतरिक्त योग सत्र का भी आयोजन किया गया था। 

 

Tuesday, 11 October 2022

पति छोड़ कर भागा, दो साल से दो बच्चो के साथ भटक रही गीता


सीएम योगी से लगाईं गुहार ,सीएम सुन लें उनकी पुकार 

लखनऊ | राजधानी में एक महिला अपने दो बच्चो के साथ दयनीय स्थिति में जीवन जी रही है।  समय की मार उसपर ऐसी पड़ी की आज उसके पास पक्की छत तक नहीं है।  पति का छोड़ जाना और उसपर दो बच्चे और उससे भी बड़ी विडंबना की दो साल से गंभीर बीमारी से झूझना।  रिश्तेदारों की उसके प्रति मायूसी ने उसे एकदम अकेला मरी स्थिति में छोड़ रखा है।  ऐसे में महिला अब सीएम योगी से अपनी मदद करने की गुहार कर रही है।  वर्तमान समय में उसकी देखभाल एक संस्था कर रही है। पूरी कहानी इस तरह से है  फिजा उर्फ गीता शुक्ला पत्नी मोहम्मद रेहान निवासिनी जैन कालोनी फैजुल्लागंज लखनऊ की है.

 फिजा उर्फ गीता शुक्ला पिछले दो  वर्षों से बीमार है।   1 साल पहले उसका पति उसको अधमरी  हालत में दो  मासूम बच्चों के साथ सड़क किनारे छोड़ कर तथा बड़ी बेटी को साथ लेकर बाहर चला गया।  पिछले एक साल से फिजा उर्फ गीता शुक्ला दर दर की ठोकरें खा रही थी।  27 जून 2022 को इनकी जानकारी लखनऊ की सामाजिक संस्था एक परिवर्तन फाउंडेशन के संस्थापक ज्ञान तिवारी को मिली।  उन्होने इस महिला को 29 जून 2022 को लखनऊ स्थित बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसका 16 दिन उपचार चला किंतु उचित ईलाज न मिल पाने के कारण उसकी हालत में कोई भी सुधार नहीं हुआ बल्कि स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई। 16 जुलाई 2022 को फिजा उर्फ गीता शुक्ला को बलरामपुर से डिस्चार्ज करवा कर ज्ञान तिवारी और उनकी संस्था और अन्य सहयोगियों की सहायता से अलीगंज स्थित एक प्राईवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनका सुचारु रूप से ईलाज प्रारंभ हुआ जिसके बाद जानकारी मिली की फिजा उर्फ गीता शुक्ला एनिमिक है और साथ ही पैरलाइज्ड भी है उसके बाद उनका एम आर आई करवाया गया तो पता चला की उसकी  रीढ़ की हड्डी के पास एल 4 एल 5 एल 3 व अन्य हड्डियां बढ़ गईं है जिस कारण यह खड़े होने में असमर्थ है और बिना आपरेशन के इनका चलना असंभव है। 7 दिन तक उसी अस्पताल में उनका ईलाज चला और इनकी हालत में पहले से काफी सुधार भी हुआ तो।  

  25 जुलाई 2022 फिजा उर्फ गीता शुक्ला को वहां से डिसचार्ज करवा कर उन्हे उनके रहने का प्रबंध कर के उनके दोनो बच्चो के साथ सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया तब से उनके रहने खाने दवाइयां और अन्य चीजों की जिम्मेदारी ज्ञान तिवारी और उनकी संस्था और उनके सहयोगियों द्वारा करी जा रही है लेकिन महिला और उसके बच्चों की स्थिति काफी दयनीय है उसके दोनो बच्चे राहुल उम्र 8 साल व नेहा उम्र 12 साल की है और वही दोनो मासूम बच्चे अपनी लाचार मां का सहारा बने हुए है।  गीता के समुचित इलाज के लिए सरकारी सहायता की अत्यंत ज़रूरत है साथ ही उसके रहने के लिए एक समुचित आवास की उम्मीद्द भी गीता शुक्ला लगाये हुए है। गीता शुक्ला ने मीडिया के माध्यम से सीएम योगी तक अपनी बात पहुंचाने को कोशिश कर रही है। (विज्ञप्ति)


पर्यटन मंत्री ने अमृत रथ यात्रा की तीन बसों को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

आजादी के अमृतकाल के समाप्ति पर भारत को नया भारत बनाने का संकल्प लें-जयवीर सिंह लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर स...